अच्छी तरह सोच-समझकर पढ़ाई के लिए टाइम टेबल बनाना बहुत जरूरी है। उससे भी जरूरी है उसे ईमानदारी से फाॅलो करना। एक्सरसाइज जरूर करेंः स्टूडेंट को चुस्त रहने के लिए कुछ समय व्यायाम भी करना चाहिए। सुबह स्टडी के बाद कुछ समय व्यायाम को दिया जा सकता है। माॅर्निंग स्टडी के बाद कुछ आरामः सुबह दो-तीन घंटे स्टडी के बाद कुछ समय खुद को फ्रेश होने के लिए दें। आराम करें, टीवी देखें या टहलने भी जा सकते हैं। सुबह जल्दी उठने की आदत डालेंः सिर्फ एग्जाम के दिनों में ही नहीं बल्कि बाकी दिनों में भी सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करने की आदत डालनी चाहिए। सुबह माइंड फ्रेश होने से जल्दी याद होता है। सुबह किसी खास विषय को दो-तीन घंटे देने चाहिए। दोपहर को थोड़ा आरामः स्कूल, काॅलेज से फ्री होने के बाद अगर आप सारा दिन स्टडी को देते हैं तो लंच के बाद थोड़े समय की नींद जरूर लें। आराम के बाद स्टडीः दोपहर को आराम करने के बाद कुछ घंटे पढ़ाई जरूर करें। इस समय फ्रेश माइंड से ज्यादा जल्दी याद होगा। शाम को एंटरटेनमेंटः शाम को कुछ समय दोस्तों के साथ घूमंे-फिरें, उनसे बातें करें या अपनी इच्छानुसार एंटरटेनमेंट के लिए कुछ करें। डिनर के बाद स्टडीः रात को खाने के बाद कुछ घंटे स्टडी करें। इस समय किसी टफ सब्जेक्ट जैसे मैथ्स, साइंस की स्टडी की जा सकती है। देर रात तक न पढ़ेंः कई स्टूडेंट को रात देर तक जाग कर स्टडी करने की आदत होती है। लेकिन एक्सपटर््स के अनुसार रात को मेमोरी सेल्स इतना जल्दी नहीं पकड़ पाते जितना दिन में। देर रात को की गई आठ घंटे की पढ़ाई दिन के तीन घंटे की स्टडी के बराबर होती है। रात को 12 बजे तक सो जाएं। टाइम टेबल पर कायम रहेंः टाइम टेबल बनाकर उस पर कायम रहें। किसी दिन निरंतरता न बन पाए तो अगले दिनों में ज्यादा टाइम दें। अनुभवी की रायः अगर आप समय को मैनेज न कर पाएं, तो किसी जानकार की राय ले लें। मास्टर लिस्ट और डेली लिस्टः एक मास्टर लिस्ट बना लें जिसमें वह सभी काम हों जिन्हें आपको पूरा करना है। इसके साथ रोज की एक डेली लिस्ट बनाएं जिसमें दिन के कामों की सूची हो। मास्टर लिस्ट से डेली लिस्टः डेली लिस्ट तैयार करते समय मास्टर लिस्ट से काम नोट कर लें। हुए कामों को मास्टर लिस्ट से काटते जाएं। बाॅडी क्लाॅकः किस समय चुस्ती-फुर्ती महसूस करते हैं, यह बाॅडी क्लाॅक पर निर्भर करता है। बाॅडी क्लाॅक को समझें और उसके अनुसार चलें।
रिवीजन की तकनीक
एग्जाम से पहले के एक महीने में सिलेबस का रिवीजन करना, आत्मविश्वास बढ़ाने की नायाब तकनीक है। यह याददाश्त को पुख्ता बनाता है ऐसा मानते है शेरवुड काॅलेज, नैनीताल के स्टूडेंट भूपेंद्र।
आत्मविश्वास मे सहायक
परीक्षा में वह खरे उतरते हैं जिनमें आत्मविश्वास होता है। रिवीजन से आत्मविश्वास बढ़ता है।
विशेष सवालों पर दें ध्यान
रिवीजन के लिए उन चीजों पर ज्यादा ध्यान दें जो इम्पाॅर्टेंट हों।
पिछले पेपरों को देखें
पिछले सालों के पेपर लेकर उनमें से कुछ महत्वपूर्ण और ज्यादा बार पूछे गए प्रश्नों के नोट्स तैयार करें।
प्रश्न बैंक
प्रश्नबैंक में सिलेबस पर आधारित ढेरों सवाल होते हैं। प्रैक्टिस से पूरे सिलेबस को कवर किया जा सकता है।
टाइम लिमिट
एग्जाम में स्टूडेंट के पास तीन घंटे होते हैं। इन तीन घंटों में पेपर पूरा करने के लिए स्पीड का होना जरूरी है। इसलिए रिवीजन के दौरान भी टाइम लिमिट के हिसाब से प्रैक्टिस करें।
डेट शीट के अनुसार
रिवीजन डेटशीट को ध्यान में रखकर करना चाहिए। जिस सब्जेक्ट का एग्जाम बाद में हो उसकी तैयारी पहले और जो पेपर पहले हो, उसकी तैयारी बाद में करें।
घड़ी पास रखें
रिवीजन के दौरान घड़ी अपने पास रखें। परीक्षा में स्टूडेंट पर समय का भारी दबाव रहता है। टाइम सेट करके सवाल करने से मानसिक रूप से तैयार हो जाएंगे।
विशेष तैयारी
जिन विषयों से डर लगता है उन्हें ज्यादा समय दें।
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